प्राचीन बहुत समय पहले कि बात है श्यामपुर में एक राजा राज करता था जिसका नाम था अतुर सिंग राजा बहुत दयालु था अपनी पूरी जनता का खयाल रखता था श्यामपुर में रहने वाले निवासी की किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती थी सभी खुशहाल थे और अपनी परिवार के साथ गुजर बसर करते थे और राजा का गुण गाते थे गए भी क्यों नहीं राजा था हि इस काबिल सभी राजा से प्यार करते थे और राजा अपनी प्रजा से राज्य कुषण पूर्वक चल रहा था सब अपने कामों में लीन थे
अचानक श्यामपुर में महामारी आ गई श्यामपुर की प्रजा मरने लगे पूरे राज्य में हाहाकार मच गया लगातार हजारों आदमी की मृत्यु होने लगी ये बात राजा को मालूम चली की उनके प्रजा महामरी के चपेट में आ गए है और लगातार मर रहें राजा चिंतित हो गया वो अपने राज्य वेद कि बुलाया देव जी को समझ में नहीं आ रहा था कि ये महामारी बीमारी है क्या जो लोग अचानक मृत्यु को सिधार जातें है देव जी सब का इलाज करते करते हार गए पर किसी को इलाज नहीं कर सके राज्य देव ने राजा के सामने हाथ जोड़ लिया और बोला महाराज इस बीमारी का मेरे पास कोई इलाज नहीं है।
राजा परेशान हो गया मृत्यु दर रुक नहीं रही थी सारी प्रजा रजा से गुहार कर रहा था कि महराज हमारी रक्षा रहिए अब राजा को कुछ सूझ नहीं रहा था एक रात रहा इसी चिंता में डूबे अपने बगीचे में बैठे थे तभी राजा को आकाश वाणी हूई कि है राजन तुम्हारे राज्य में को महामारी ही है उसे रोकने के लिए तुम अपनी राज्य कि बिचो बीच जंगल में एक बरगद के पेड़ के नीचे एक कुआं है ठीक अमावसिया के रात अगर तुम्हारी पूरा प्रजा एक एक बाल्टी दूध उस कुआं में देता है तो महामारी समाप्त हो जाएगी
फिर क्या था राजा अगले दिन ही सुबह में पूरे राज्य में घोषणा कारण दिया कि ठीक 2 दिन बाद आमावशिया की रात को पूरा राज्य के प्रजा को जंगल के बीच बरगद के पेड़ के नीचे वाली कुआं में एक एक बाल्टी दूध गिराना है सभी प्रजा डर से अमावासिया की रात को उस कुआं में एक एक बाल्टी दूध डाला उस बीच राज्य के एक कंजूस बूढ़ी औरत ने सोचा कि क्यों ना मैं एक बाल्टी पानी ही डाल दूं किसी को क्या पता चलेगा इतनी सारी दूध के बीच मिल कर कंजूस बुढ़िया में यही किया एक बाल्टी पानी दे डाली अगने दिन महामारी नहीं रुकी राजा ने कुआं में देखा तो दूध कि जगह सारी कि सारी पानी हि नजर आया क्यों की पूरी प्रजा ने यहीं सोचा की एक बाल्टी पानी मिला देंगे तो क्या होगा कोई फर्क नहीं पड़ेगा और सबने पानी से कुआं को भर दिया राजा बहुत घुस्सा हुआ सब की साजा देने की धमकी दी
फिर से राजा उदश बैठा था तभी फिर से आकाश वाणी हूई की है राजन हमारी प्रजा इसी प्रकार पापा कर रहा है कि सभी धर्म पुनय कर ही रहें है ती हम एकेले नहीं करेंगे तो क्या होगा यहीं सोच सोच कर एक दूसरे के सहारे धर्म पुण्य को सभी पापा कर रहें ही अभी भी मौका है सभी पुण्य धर्म करते है और ईमानदारी से कुआं में दूध देते हि तो महामारी ख़तम हो जाएगा
राजा सारी आकाश वाणी वाली बात पूरी प्रजा को सभा में बताई सभी सर्मिंदा हुआ और लगाने दिन सभी ईमानदारी से कुआं में एक बाल्टी दूध डाला और महामारी समाप्त हो गया
सीख:- इस कहानी से हमें ये सीख मिली कि कभी भी कोई काम दूसरे के सहारे नहीं छोड़ना चाहिए और हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।
