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चंपक वन में अज्ञानी और घमंडी लोमड़ी की सबक

बहुत पुरानी समय की बात है चंपक वन में एक लोमड़ी रहती थी जिसका नाम था संटू लोमड़ी वह बहुत अकरू थी वो जंगल में कभी भी कसी की नहीं सुनती थी वो उल्टा ही उसे अपनी अधूरी ज्ञान बताने लगती थी कि तुम लोग भविष्य की चिंता बहुत रहते हो आगे किस ने देखे भविष्य को क्या होगा किस को पता इसी लिए रोज खाओ कुछ बचा कर मत रखो कुछ भी जमा मत करो मोह माया में मत फसो भविष्य किसी। का नहीं है ना होगा। जंगल के कोई भी जानवर उस का मूह नहीं लगता था संटू लोमड़ी को सब ये बताना चाहता था कि अपनी एक घर बनाओ उस में रही दूसरे के घर में मत जाओ दूसरे के घर को मत छीनो अपनी खुद को भोजन का खोज करो कुछ बचा कर कल के लिए रखो अपना परिवार बनाओ पारिवारिक खुश लो, ये सारी बाते संटू लोमड़ी को बताए गा कौन वो उल्टा ज्ञान जो बताने लगती थी। संटू लोमड़ी वो सबसे अलग रेहता था कभी किसी के साथ नहीं रहती थी हमेशा एकेले और घमंड में चूर रहती थी,

बारिश का मौसम और चपक वन में दिन रात लगातार बारिश होने होने लगी रुकने के नाम ही नहीं के रही थी चंपल वन में 4 पक्के दोस्त रहते थे सतिर खरगोस, मंटू बंदर, उजली हंस, और मोती कछुआ चंपक वन में पूरी पीपल का पेड़ था उस के उपर हंस, बन्दर, रहते थे और नीचे बिल में खरगोश और बगल के नदी में कछुआ सभी डर रहे थे कि हर साल की बारिश की भती इस साल बहुत ज्यादा बारिश हो रही थी बारिश लगातार हो रही थी अब रात हो चुका था बारिश रुकने की नाम नहीं ले रही थी चपक वन के सारे जानवर डर गए थे घनघोर चंपक वन में रात घने काले अंघेरो की डरावनी थी उस डरावनी रात में संटू लोमड़ी जोड़ जोड़ से चिल्ला का बोल रही थी कि चंपक वनों के वासियों डरो मत घर से बाहर निकाल भविष्य की चिंता छोड़ दो हर साल की तरह इस साल भी बारिश हो रही है इसमें कोई नहीं बात नहीं ही कुछ दिन बाद बारिश रुक जाएगी संटू लोमड़ी की ती अपनी घर थी नहीं तो वो घूम रहा था और एक पुरानी से गुफा में रहता था संटू लोमड़ी की बात सुन कर सतिर खरगोश बोला कि कोई भी मत लिकालो घर से क्यों कि हर जगह पानी भर गया ही नीचे हमलोग उची जगह पर ही सुरक्षित ही खरगोश कि बात सभी माने जो पीपल के पेड़ पर रहते थे बारिश लगातार दिन रात हो रही थी सभी जानवर को खाना भी नहीं मिल रहा था लेकिन सभी जनवार ने जो खाना बचा कर रखे थे वो खा रहे थे और अपनी घर में थे।
पर संटू लोमड़ी भूखी थी क्यूंकि वो कभी खाना बचा कर रखा नहीं नहीं संटू लोमृंकी गुफा में भी पानी भर गया अब को भूख से तरफ रही थी अब उसको सभी जानवर के दिए गए उपदेश याद आ रहा था कि खाना बचा कर रखना चाहिए भविष्य की तैयारी रखनी काहिए वो अब बिना खाए बीमार हो गया सभी जानवर को पता चला संटू लोमड़ी के पास घर भी नहीं था वो पानी भिंग ने से उसको तेज बुखार आ गया चंपक वन के सभी जानवर उसकी मदद के लिए उसके बाद गए दादा हाथी डॉक्टर थे अब उनको कौन बुलाएगा क्यों कि सारी चंपक वनों में बाढ़ आ गया था हर जगह पानी भरा था तब मंटू बंदर बोला उजनी हंस से कि बहन  आप  उड़ कर जा सकती है जाए और दादा हाथी बहुत बड़े विशाल ही वो पानी में डूबेंगे नहीं वो आ जायेगे
 फिर क्या था उजनी हंस दादा हाथी के पास गई सारी कहानी सुनाई फिर क्या था दादा हाथी चल पड़ा, कछुआ और खरगोश आग जलाए जो कि खरगोश अपने घर में खाने को घास जमा किया था वो सुख गया था वो सुखी घास के कर आए कछुआ आग लगाए अपनी घर से आग आ कर फिर संटू लोमड़ी के पास जलाए क्यों की संटू लोमड़ी ठंड से कांप रही थी
दादा हाथी आए संटू लोमड़ी की इलाज किए फिर वो ठीक हो गई और सभी जानवर को धन्यवाद् किया इस पर सभी जानवर ने उसे कहा कि धन्यवाद् कि की भविष्य के लिए सोचिए और अपनी घर और खाना बचाए घर में जरूरत कि हर सम्मान रखिए संटू लोमड़ी सभी से माफी मांगी और भविष्य के लिए सब कुछ बचना सीख गई।
खिस:- इस कहानी से हमें ये सीख मिलता ही कि हम अपनी जिंदगी में जितनी ही कमाए उसका कुछ हिस्सा बचा कर भविष्य के लिए जरूर रखना चाहिए ताकि आपको आगे काम दे


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